ज्योतिष (कुण्डली) एवं वास्तु दोनों ही विधाएं पंच तत्व और चित दशा पर आधारित है। (जिनके द्वारा हमारा निर्माण हुआ है) इन्ही पंच तत्वों के असंतुलन को ही हम खराब दशा कहते है। और यही पंचतत्व जब वास्तु पुरुष में अनुचित स्थानों पर स्थापित कर दिये जाते है ते भी जीवन असंतुलित हो जाता है।